
जब हम इतिहास की बात करते हैं तो विद्वानों ने वेदों के रचनाकाल की शुरुआत 4500 ई.पू. से मानी है। अर्थात यह धीरे-धीरे रचे गए और अंतत: माना यह जाता है कि पहले वेद को तीन भागों में संकलित किया गया- ऋग्वेद, यजुर्वेद व सामवेद जिसे वेदत्रयी कहा जाता था। मान्यता अनुसार वेद का विभाजन राम के जन्म के पूर्व पुरुरवा ऋषि के समय में हुआ था। बाद में अथर्ववेद का संकलन ऋषि अथर्वा द्वारा किया गया।
दूसरी ओर कुछ लोगों का यह मानना है कि कृष्ण के समय में वेद व्यास ने वेदों का विभाग कर उन्हें लिपिबद्ध किया था। इस मान से लिखित रूप में आज से 6508 वर्ष पूर्व पुराने हैं वेद। यह भी तथ्य नहीं नकारा जा सकता कि कृष्ण के आज से 5300 वर्ष पूर्व होने के तथ्य ढूँढ लिए गए हैं।
एक विकासशील धर्म होने के कारण विभिन्न कालों में इसमें नये-नये आयाम जुड़ते गये। वास्तव में हिन्दू धर्म इतने विशाल परिदृश्य वाला धर्म है कि उसमें आदिम ग्राम देवताओं, भूत-पिशाची, स्थानीय देवी-देवताओं, झाड़-फूँक, तंत्र-मत्र से लेकर त्रिदेव एवं अन्य देवताओं तथा निराकार ब्रह्म और अत्यंत गूढ़ दर्शन तक- सभी बिना किसी अन्तर्विरोध के समाहित हैं और स्थान एवं व्यक्ति विशेष के अनुसार सभी की आराधना होती है। वास्तव में हिन्दू धर्म लघु एवं महान परम्पराओं का उत्तम समन्वय दर्शाता है।

हिन्दू धर्म की जानकारी –
हिन्दू धर्म के प्राचीन इतिहास को किसी मानव की उत्पत्ति से जोड़कर नहीं देखा जा सकता, जैसा कि दूसरे धर्मों में आदम से इतिहास की शुरुआत होती है और फिर क्रमश: मूसा, ईसा और मोहम्मद तक समाप्त हो जाती है। जबकि हिन्दू धर्मानुसार मनुष्य पहली बार नहीं जन्मा तथा उसका अस्तित्व कई बार मिट गया और हर बार उसकी उत्पत्ति किसी एक माध्यम से नहीं हुई। कभी उसको रचा गया तो कभी वह क्रम विकास के माध्यम से जन्मा।
हिन्दू मानते हैं कि समय सीधा ही चलता है। सीधे चलने वाले समय में जीवन और घटनाओं का चक्र चलता रहता है। समय के साथ घटनाओं में दोहराव होता है फिर भी घटनाएं नई होती हैं। राम तो कई हुए, लेकिन हर त्रेतायुग में अलग-अलग हुए और उनकी कहानी भी अलग-अलग है। पहले त्रेतायुग के राम का दशरथ नंदन राम से कोई लेना-देना नहीं है। यह तो ब्रह्मा, विष्णु और शिव ही तय करते कि किस युग में कौन राम होगा और कौन रावण और कौन कृष्ण होगा और कौन कंस? ब्रह्मा, विष्णु और महेश के ऊपर जो ताकत है उसे कहते हैं… ‘काल ब्रह्म’। यह काल ही तय करता है कि कौन ब्रह्मा होगा और कौन विष्णु? उसने कई विष्णु पैदा कर दिए हैं कई अन्य धरतियों पर।
हिन्दू धर्म के स्रोत और
हिन्दू धर्म के इतिहास की मुख्य बातें –
देव: वेदों की मान्यतानुसार सनातन धर्म के मुख्य देव इन्द्र, वरुण, अग्नि और वायु देव हैं।
तीन मुख्य संप्रदाय: सनातन हिन्दू धर्म मुख्यत: तीन संप्रदायों में बंटा था एक शैव जो शिव की पूजा करते थे। दूसरा वैष्णव जो विष्णुजी को अपना आराध्य मानते थे। और तीसरे शक्ति के उपासक थे।
श्री आदि शंकराचार्य द्वारा धर्म की पुन: स्थापना: मान्यता है कि विभिन्न संप्रदायों में बंट जाने से जब सनातन धर्म कमजोर होने लगा तो आदि शंकराचार्य ने पूरे भारत का भ्रमण कर पुन: धर्म की स्थापना कर लोगों को जोड़ने का काम किया।
अन्य संस्कृतियां: मान्यता है कि बौद्ध और जैन धर्म भी सनातन हिन्दू धर्म का ही एक अंग है।
युग : सत युग, त्रेता युग, द्वापर युग तथा कलि युग।
वेद: 1. ऋग्वेद 2. सामवेद 3. अथर्ववेद 4. यजुर्वेद
वैदिक काल कितने भागों में बांटा गया है: दो भागों में: ऋग्वैदिक काल (2000 ईसा पूर्व से 1000 ईसा पूर्व) तथा उत्तर वैदिक काल (1000 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व) (यहाँ एक बार फिर ध्यान दें ऋग्वैदिह काल की शुरूआत का कोई साक्ष्य नही है कोई विद्धान इसे 2000 ईसा पूर्व, कोई 2500 ईसा पूर्व, कोई 3000 ईसा पूर्व तो कोई 4000 ईसा पूर्व तक मानता है इसलिए आप भ्रमित ना होकर इसे 2000 ईसा पूर्व ही मानें जो कि सबसे अधिक विद्धानो द्वारा बताया गया है)
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हिन्दू धर्म का संस्थापक –
अक्सर यह कहा जाता है कि हिन्दू धर्म का कोई संस्थापक नहीं। इस धर्म की शुरुआत का कुछ अता-पता नहीं। हालांकि धर्म के जानकारों अनुसार वर्तमान में जारी इस धर्म की शुरुआत प्रथम मनु स्वायम्भुव मनु के मन्वन्तर से हुई थी।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश सहित अग्नि, आदित्य, वायु और अंगिरा ने इस धर्म की स्थापना की। क्रमश: कहे तो विष्णु से ब्रह्मा, ब्रह्मा से 11 रुद्र, 11 प्रजापतियों और स्वायंभुव मनु के माध्यम से इस धर्म की स्थापना हुई। इसके बाद इस धार्मिक ज्ञान की शिव के सात शिष्यों से अलग-अलग शाखाओं का निर्माण हुआ। वेद और मनु सभी धर्मों का मूल है। मनु के बाद कई संदेशवाहक आते गए और इस ज्ञान को अपने-अपने तरीके से लोगों तक पहुंचाया। लगभग 90 हजार से भी अधिक वर्षों की परंपरा से यह ज्ञान श्रीकृष्ण और गौतम बुद्ध तक पहुंचा। यदि कोई पूछे- कौन है हिन्दू धर्म का संस्थापक तो कहना चाहिए ब्रह्मा है प्रथम और श्रीकृष्ण-बुद्ध हैं अंतिम। ज्यादा ज्ञानी व्यक्ति को कहो…अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा। यह किसी पदार्थ नहीं ऋषियों के नाम हैं।
हिन्दू धर्म के इतिहास की मुख्य बातें –
देव: वेदों की मान्यतानुसार सनातन धर्म के मुख्य देव इन्द्र, वरुण, अग्नि और वायु देव हैं।
तीन मुख्य संप्रदाय: सनातन हिन्दू धर्म मुख्यत: तीन संप्रदायों में बंटा था एक शैव जो शिव की पूजा करते थे। दूसरा वैष्णव जो विष्णुजी को अपना आराध्य मानते थे। और तीसरे शक्ति के उपासक थे।
श्री आदि शंकराचार्य द्वारा धर्म की पुन: स्थापना: मान्यता है कि विभिन्न संप्रदायों में बंट जाने से जब सनातन धर्म कमजोर होने लगा तो आदि शंकराचार्य ने पूरे भारत का भ्रमण कर पुन: धर्म की स्थापना कर लोगों को जोड़ने का काम किया।
अन्य संस्कृतियां: मान्यता है कि बौद्ध और जैन धर्म भी सनातन हिन्दू धर्म का ही एक अंग है।
युग : सत युग, त्रेता युग, द्वापर युग तथा कलि युग।
वेद: 1. ऋग्वेद 2. सामवेद 3. अथर्ववेद 4. यजुर्वेद
वैदिक काल कितने भागों में बांटा गया है: दो भागों में: ऋग्वैदिक काल (2000 ईसा पूर्व से 1000 ईसा पूर्व) तथा उत्तर वैदिक काल (1000 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व) (यहाँ एक बार फिर ध्यान दें ऋग्वैदिह काल की शुरूआत का कोई साक्ष्य नही है कोई विद्धान इसे 2000 ईसा पूर्व, कोई 2500 ईसा पूर्व, कोई 3000 ईसा पूर्व तो कोई 4000 ईसा पूर्व तक मानता है इसलिए आप भ्रमित ना होकर इसे 2000 ईसा पूर्व ही मानें जो कि सबसे अधिक विद्धानो द्वारा बताया गया है)
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